सूत्रों के मुताबिक, प्राइमरी कक्षा को फिलहाल कोरोना बचाव के तहत हालात ठीक होने तक घर से काम करने को दिया जाएगा। इसमें शिक्षक प्रतिदिन अभिभावाकों को प्रैक्टिकल वर्क होम वर्क के रूप में देंगे। इसमें छात्रों की क्रिएटिविटी पर जोर दिया जाएगा। मंत्रालय द्वारा जारी होने वाली सेफ्टी गाइडलाइन को राज्य सरकारें उसमें आगे अपने आधार पर थोड़ा बहुत बदलाव कर सकेंगी।
स्कूलों में लगेंगे थर्मल स्कैनर
स्कूलों में थर्मल स्कैनर लगेंगे। संस्थान खोलने से पहले शिक्षकों को थर्मल स्कैनर प्रयोग करने, सामाजिक दूरी के साथ छात्रों को रहने, बैठने, खाने आदि को सीखाने की बाकायदा ट्रेनिंग भी दी जाएगी। कक्षा में एक बेंच पर एक छात्र ही बैठेगा या फिर तीन वाले सीटिंग प्लान में बीच की सीट खाली रहेगी।
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बड़ी कक्षाओं के छात्र से लेकर शिक्षक या कर्मी हर कोई मॉस्क,दस्ताने पहनकर आएगा। कैंटीन, कॉरिडोर, कक्षा, लाइब्रेरी से लेकर टॉयलेट रूम के बाहर भी कोरोना बचाव की गाइडलाइन लगी होंगी। सीसीटीवी से छात्रों की सामाजिक दूरी के नियमों को जांचा-परखा जाएगा।
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संबंधित एरिया के एसडीएम और डीएम को औचक्क निरीक्षण के साथ-साथ गाइडलाइन को पूरा करवाने की जिम्मेदारी होगी। ऐसे ही स्कूल बस में भी एक सीट पर एक छात्र ही बैठेगा। दो शिफ्ट के साथ ऑड-ईवन रोल नंबर के साथ छात्रों को बुलाने की भी योजना संभव है। हर दिन कक्षाओं, बस और स्कूल परिसर को संक्रमणमुक्त करना अनिवार्य होगा।
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पाठ्यक्रम छोटा होगा
सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों, केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय से लेकर, एनसीईआरटी पाठ्यक्रम व किताबों से पढ़ाई करवाने वाले राज्यों के स्कूलों में भी 2020 सत्र में पाठ्यक्रम में बदलाव होगा। कोरोना लॉकडाउन के चलते पढ़ाई का नुकसान पूरा करने के लिए सीबीएसई पाठ्यक्रम को कम करने की तैयारी कर रहा है। हालांकि कितना पाठ्यक्रम कम होगा, इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
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