बता दें, बुधवार को उदयपुर से गई हर बस की यात्री क्षमता 48 सवारियों की थी जिनमें निर्देशों के अनुसार 48 सवारी ही बिठाई जानी थी, लेकिन गुरुवार को सर्वाधिक 35 सवारियां केवल जयपुर जाने वाली बस में ही रही। सबसे कम 7 सवारियां आबूरोड की बस में थे। अन्य जिलों से उदयपुर पहुंची रोडवेज की बसों की भी स्थिति यही रही। बस स्टैंड पर पहुंचने के बाद ऑटो संचालकों को भी सवारियों का इंतजार रहा लेकिन खाली बसें देखकर उनके चेहरे मुरझा गए।
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किस रूट पर कितने यात्री गए
बांसवाड़ा : 10 सवारियां
जोधपुर : 12 सवारियां
जयपुर (2 बसें) : 56 सवारियां
कोटा : 17 सवारियां
डूंगरपुर (2 बसें) : 31 सवारियां
चित्तौड़गढ : 12 सवारियां
भीलवाड़ा : 12 सवारियां
आबूरोड : 7 सवारियां
राजसमंद : 15 सवारियां
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लॉकडाउन में आवागमन बंद होने से निजी बसों का संचालन करने वाली एजेंसियों पर दोहरी मार पड़ी है। ढाई माह तक बंद खड़ी बसों के लिए भी हर तरह का टैक्स चुकाने की मजबूरी आ गई है। अगले छह माह तक यात्री भार भी इतना नहीं मिलने वाला जिससे निजी बस संचालक घाटे की भरपाई कर सकें। इन परेशानियों के चलते उदयपुर ट्रैवल्स एसोसिएशन व उदयपुर टूरिस्ट बस एसोसिएशन ने सरकार से परिवहन नियमों के तहत समस्त टैक्स माफ करने की मांग की है।
इस मांग को लेकर टूरिस्ट बस एसोसिएशन के बस संचालकों ने बुधवार को अपनी बसें आरटीओ कार्यालय के बाहर ले जाकर खड़ी कर दी। ट्रैवल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पारस सिंघवी ने बताया कि 22 मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान निजी बस संचालकों ने अपने वाहनों की आरसी सरेंडर करने के लिए आवेदन किए थे, तब अधिकारियों का कहना था कि अभी लॉकडाउन है, बाद में सरेंडर की प्रक्रिया कर लेंगे लेकिन अब जब कागज जमा कराने जा रहे हैं तो लॉकडाउन की अवधि का हर तरह का भी टैक्स मांगा जा रहा है।
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सिंघवी ने सरकार से आग्रह किया है कि सरकार 22 मार्च से लॉकडाउन तक टैक्स माफ करे। संरक्षक दिनेश काबरा ने बताया कि जिन वाहनों के फिटनेस परमिट इंश्योरेंस व पुनर्पंजीकरण की अवधि समाप्त हो गई है, उन वाहनों की अवधि आगामी लॉकडाउन आदेश तक बिना शुल्क बढ़ाई जाए।
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