ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके पास सही जानकारी नहीं पहुंचाई जाती। आज हम आपको इस योजना के तहत बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा कैसे मिलता और इसकी क्या शर्त है इसके बारे में बता रहे हैं।
किसानों को बीमा कंपनियों के टोल फ्री नंबर पर इसकी सूचना देनी होती है। इसके बाद किसानों को क्लेम फॉर्म भरना होता है और जरूरी दस्तावेज भी साथ ही जमा करने होते हैं। इस के बाद जिला स्तरीय कमिटी खेत का परीक्षण करती है। इस कमिटी में कृषि, राजस्व और बीमा कंपनी के प्रतिनिधि होते हैं।
किसान को हुए नुकसान के तहत कितना मुआवजा मिलना चाहिए ये केमिटी यह सुनिश्चित करती है फिर नुकसान की राशि खाते में भेज दी जाती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राहत राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है। सरकार की ओर से बीमा कंपनियों पर लगातार दबाव डाला जाता है कि वे किसानों को हुई क्षतिपूर्ति की राशि जारी करें।
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