COVID -19: कोरोना को हराने के लिए भारत सरकार कैसे कर रही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

दुनिया के ज्यादातर देश इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है। वैज्ञानिकों से लेकर सरकारें तक इस खतरनाक वायरस को रोकने की कोशिश कर रही हैं। अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे देशों में इस वायरस ने कहर भरपाया है। वहीं, भारत में भी कोविड-19 से मरने वाले लोगों की संख्या 50 के पार पहुंच गई है। तो ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि भारत सरकार लोगों को इस वायरस से बचाने के लिए कैसे तकनीक का इस्तेमाल कर रही है...

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कोरोना वायरस को रोकने के लिए बेहतर विकल्प इसलिए है, क्योंकि इससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहेगी और वायरस को रोकने में भी मदद मिलेगी। आपको बता दें कि लॉकडाउन के चलते अधिकतर लोग काम के सिलसिले में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए बिजनेस मीटिंग कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ भारत सरकार ने भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीडियो क्रॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की थी।

वर्क फ्रॉम होम का इस्तेमाल 
लॉकडाउन के चलते अधिकतर लोग अपने घर से काम कर रहे हैं। इनमें सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं। सरकार और निजी कंपनियों ने यह कदम इसलिए उठाया है, जिससे आम जनता को कोरोना वायरस से बचाया जा सके। आपको बता दें कि वर्क फ्रॉम होम की शुरुआत सबसे पहले चीन से हुई थी। कोरोना वायरस के ताजा मामले सामने आते ही चीन की अलीबाबा कंपनी ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने का आदेश दिया था।

ड्रोन का उपयोग 
दुनिया के अधिकतर देश ड्रोन के जरिए लोगों तक दवाइयों से लेकर जरूरी सामान पहुंचा रहे हैं। हालांकि, भारतीय सरकार ड्रोन के जरिए लोगों और संक्रमित क्षेत्रों की निगरानी कर रही है। आपको बता दें कि चीनी सरकार ड्रोन से लोगों तक फेस मास्क और दवाईयां पहुंचा रही हैं। साथ ही संक्रमित क्षेत्रों में सैनिटाइजर का छिड़काव भी किया छिड़काव भी किया जा रहा है।

मोबाइल एप से संक्रमितों की ट्रैकिंग
भारत सरकार ने हाल ही में कोरोना कवच और आरोग्य सेतु मोबाइल एप लॉन्च किए थे। सरकार इन एप्स के जरिए वायरस से संक्रमित लोगों की लोकेशन ट्रैक कर रही है। वहीं, इन एप्स में कोरोना वायरस से जुड़ी अहम जानकारी उपलब्ध है, जो कि यूजर्स के बहुत काम आएगी। 

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